मौर्य साम्राज्य अतिमहत्वपूर्ण नोट्स pdf

मौर्य साम्राज्य अतिमहत्वपूर्ण नोट्स pdf

  1. चन्द्रगुप्त

  • मौर्य वंश का संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य था। 

  • चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म 345 ई.पू. में हुआ था।

  • घनानंद को हराने में चाणक्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य की मदद की थी जो बाद में चन्द्रगुप्त का प्रधानमंत्री बना ।

  • चाणक्य द्वारा लिखित पुस्तक अर्थशास्त्र है जिसका संबंध राजनीति से है।

  • चन्द्रगुप्त मगध की राजगदी पर 322 ई. पू. में बैठा। 

  • चन्द्रगुप्त जैनधर्म का अनुयायी था।

  • चन्द्रगुप्त ने 305 ई.पू. में सेल्यूकस निकेटर को हराया ।

  • मेगस्थनीज सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था जो चन्द्रगुप्त के दरबार में रहता था। 

  • मेगस्थनीज द्वारा लिखी गयी पुस्तक इंडिका है।

  • चन्द्रगुप्त मौर्य की मृत्यु 298 ई. पू में श्रवणबेलगोला में उपवास द्वारा हुई।



      2. बिन्दुसार 
  • चन्द्रगुप्त मौर्य का उत्तराधिकारी बिन्दुसार हुआ जो 298 ई.पू. में मगध की राजगद्दी पर बैठा।
  •  अमित्रघात के नाम से बिन्दुसार जाना जाता है। वायु पुराण में भद्रसार नाम मिलता है।

  • अमित्रघात का अर्थ है - शत्रु विनाशक |
      3. अशोक

  • बिन्दुसार का उत्तराधिकारी अशोक महान हुआ जो 269 ई.पू. में मगध की राजगदी पर बैठा।

  • . उपगुप्त नामक बौद्ध भिक्षु ने अशोक को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी।

  • अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने पुत्र महेन्द्र एंव पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा।

  • भारत में शिलालेख का प्रचलन सर्वप्रथम अशोक ने किया।

  • अशोक के शिलालेखों में ब्राह्मी, खरोष्ठी, ग्रीक एंव अरमाइक लिपि का प्रयोग हुआ है।

  • अशोक के अभिलेखों को तीन भागों में बाँटा जा सकता है

  • शिलालेख, स्तम्भलेख तथा गुहालेख । 

  • अशोक के शिलालेख की खोज 1750 ई. में पाटी फेन्थैलर ने की

  • अशोक के शिलालेख की संख्या 14 है।

  • अशोक के अभिलेख पढ़ने में सबसे पहली सफलता 1837 ई. में जेम्स प्रिसेप को हुई।

  • अशोक के स्तम्भ लेखों की संख्या 7 है जो केवल ब्राह्मी लिपि में लिखी गयी है।

  • अशोक का 7वां अभिलेख सबसे लम्बा है। 

  • अशोक की माता का नाम शुभद्रागी था। 

  • अशोक का कलिंग युद्ध 261 ईपू हुआ था । 

  • बौद्ध भिक्षु उपगुप्त के प्रभाव से अहिंसावादी तथा बौद्ध धर्म का ग्रहण किया था, (अशोक ने) मौर्य साम्राज्य का अन्तिम शासक बृहदथ था। 

  • मौर्यकाल में प्रांतों की संख्या 5 थी। 

  • अर्थशास्त्र अनुसार मंत्रियों की संख्या 18 थी जो तीर्थ कहलाते थे थे।


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