राजस्थान जिला दर्शन
राजस्थान की सबसे महसूर जिला दर्शन बुक
लेखक - आशु चौहान सर
मार्गदर्शक - सुभाष चारण सर
जहा तक मेरी नजर में हैं मेने एस बुक को अच्छे से पढ़ा था |
मेरे को एस बुक में कोई गलती कोई नहीं पी गई
इस किताब को पढ़कर आप सरकारी नौकरी की तैयारी अच्छी कर सकते हैं |
|| इस किताब की में कुछ फोटो आप के साथ साझा कर रहा हूं ||
और RBD पब्लिकेशन ये नाम ही विश्वास हैं
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👉राजस्थान के📗जयपुर जिला दर्शन का प्रथम जिला
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मानसिंह ( 1589-1614 ई.) -
भगवान दास की मृत्यु के बाद अकबर ने इसके पुत्र मानसिंह को मिर्जाराजा और फर्जन्द (पुत्र) की उपाधियों से विभूषित कर आमेर का शासक घोषित कर दिया।
मानसिंह का प्रथम अभियान बुंदी के राजा सुर्जन हाड़ा के विरूद था। 1569 ई. में सुर्जन हाड़ा पर आक्रमण कर रणथम्भौर पर अधिकार किया। मानसिंह का राज्याभिषेक पटना (बिहार) में हुआ था। मानसिंह ने अपने युवराज काल में 18 जून, 1576 ई. को हल्दीघाटी के युद्ध का नेतृत्व किया।
मानसिंह आमेर के सबसे शक्तिशाली शासक थे। 1605 ई. में अकबर की मृत्यु के बाद उसका पुत्र सलीम नूरूद्दीन
जहाँगीर के नाम से मुगल साम्राज्य का शासक बना। इसके अगले ही वर्ष 1606 ई. में खुसरो ने अपने पिता जहाँगीर के विरूद्ध विद्रोह की घोषणा कर दी।
इस विद्रोह में उसके मामा मानसिंह ने साथ दिया और सिक्खों के पाँचवें गुरु अर्जुनदेव ने उसे शासक बनने का आशीर्वाद प्रदान किया। जहाँगीर ने मानसिंह को बंगाल नियुक्त कर दिया और खुसरो के विद्रोह का अन्त कर गुरु अर्जुनदेव सिंह को मृत्युदण्ड दे दिया। मानसिंह ने गया में महादेव का मंदिर, वृन्दावन में गोविन्द देव जी का मंदिर और आमेर में शिला देवी का मंदिर स्थापित करवाया।
उसने बिहार में मानपुर नामक नगर और बंगाल में अकबर नगर भी स्थापित किया। अकबर ने मानसिंह को 7000 का मनसब व फर्जन्द (बेटा) की उपाधि प्रदान की। मानसिंह ने उड़ीसा के राजा रामचन्द्र की पुत्री अक्षा देवी से विवाह किया। मानसिंह ने बैराठ में पंचमहला तथा पुढ़कर में मानमहल का निर्माण करवाया।
मानसिंह का प्रसिद्ध दरबारी कवि पुण्डरीक विठ्ठल था जिसने रागमंजरी, राग चन्द्रोदय, नर्तन, निर्णय आदि ग्रंथों की रचना की। हरनाथ, कवि गंग, मुरारीदान, सुन्दरदास, जगन्नाथ आदि मानसिंह के दरबार में थे। मुरारीदान ने मानचरित्र ग्रंथ की रचना की।
1614 ई. में दक्षिण भारत में स्थित एलिचपुर नामक स्थान पर मानसिंह ___ की मृत्यु हो गयी।
मानसिंह की मृत्यु के बाद भावसिंह शासक बना। जिसने 1614 ई. से
1621 ई. तक शासन किया।
मिर्जाराजा जयसिंह ( 1621-1666 ई.)
भावसिंह के उपरान्त जयसिंह-प्रथम शासक बना। जयसिंह प्रथम ने तीन मुगल सम्राटों जहाँगीर (1605-1627 ई.), शाहजहाँ (1628-1658 ई.) और औरंगजेब (1658-1707 ई.) की सेवा की।
. मिर्जा राजा जयसिंह का पालन पोषण माता दमयन्ती ने माधोराजपुरा
किला में किया था।
जहाँगीर ने उसे दक्षिण भारत में स्थित अहमदनगर रियासत की विजय
के लिए नियुक्त किया था।
. शाहजहाँ ने उसे 'मिर्जाराजा' की उपाधि से विभूषित कर 1638 ई.
कंधार अभियान पर भेजा।
औरंगजेब ने उसे शिवाजी के विरुद्ध नियुक्त किया।
राजस्थान जिला दर्शन
1 सितम्बर, 1743 ई. को रक्त विकार के कारण सवाई जयसिंह की मृत्यु कारिका नामक ग्रंथों की रचना की थी।
जयपुर की कुतुबमीनार भी कहते हैं। इसका शिल्पी गणेश खोवान जयपुर नगर का वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य था।
सवाई प्रतापसिंह व जॉर्ज थॉमस, (झांझ फिरंगी) के मध्य हुआ। कवि डूंगरसी ने अपने ग्रंथ शत्रुशाल रासो में इस युद्ध का वर्णन ।
सवाई प्रतापसिंह प्रसिद्ध कवि एवं संगीत के ज्ञाता थे। नामक ग्रंथों की रचना की।
सवाई प्रतापसिंह ब्रजनिधि नाम से काव्य रचना करते थे। सवाई माधोसिंह प्रथम ने 1763 ई. में रणथम्भोर के निकट सवाई माधोपुर नगर की स्थापना की।
झाला राजेन्द्र सिंह सुधाकर नाम से रचनाएँ लिखा करते थे। जाट राजा जवाहर सिंह के मध्य हुआ। जिसमें माधोसिंह प्रथम
सवाईमानसिंह अस्पताल व सवाई मानसिंह स्टेडियम इन्हीं के नाम काल था।
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good luck
जवाब देंहटाएंgood
जवाब देंहटाएंyah book mere pass h bahut achhi book hain
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